सरकार जान बूझ कर लोकतान्त्रिक सस्थाओं को नष्ट करने का काम कर रही है, क्या कोई राजनैतिक नेता पूरे देश को मुसीबत में डालने वाले फैसले बिना किसी से पूछे कर सकता है ? कोई भी प्रधानमंत्री मनमर्जी से बेवकूफी…
क्या आपको अंदाजा है हम पर जो कैशलेस इकनाॅमी थोपी जा रही है उसका फायदा किसको और कितना होने वाला है? नहीं है तो इस पोस्ट को ध्यान से पढ़िए और विचार कीजिये कि कथनी और करनी मे कितना फर्क…