श्रद्धेय भाइयों एवं बहनों !
प्रणाम, अभिवादन!
बडे़ हर्ष के साथ आपको बताना चाहता हूँ कि एक महान उददेश्य – “तन्त्र परिवर्तन”, स्पष्ट विचारधारा – ” न गलत करो न गलत स्वीकार करो “, और लक्ष्य – “सुशासन की स्थापना”, के साथ आदर्शवादी कांग्रेस पार्टी (A.C.P.) का गठन किया गया है।
आज चहुँ ओर जो विसंगतियां, असमानतायें दिख रही हैं, वे सब, राजनीतिक कारणों से ही उत्पन्न हुयी हैं।
आज भारतीय व्यवस्था में जो भी समस्यायें हैं चाहे वह भ्रष्टाचार हो, कालाधन हो, संसाधनों का असमान वितरण हो, या फिर गम्भीर रूप धारण किये हुये सामाजिक-सांस्कृतिक-आर्थिक-दैहिक असुरक्षा की स्थिति, इन सबके मूल में है, राजनीतिक अदूरदर्शिता, राजनीतिक अपारदर्शिता जिस कारण से, सब प्रकार की समस्यायें राजनीतिक ही कही जायेंगी। और राजनीतिक समस्याओं का निराकरण, राजनीतिक तौर-तरीकों से ही सम्भव है।
आज देश गम्भीर संकट से गुजर रहा है। अस्पष्ट सोच, ढुलमुल रवैये, और शिथिल कार्यप्रणाली के कारण न केवल आन्तरिक बलिक बाह्य संकट भी गहरा हो गया है। आज के इस संक्रमण काल में हम-सब की यह जिम्मेदारी है कि आगे बढ़कर इस व्यवस्था में बदलाव के लिये एक संगठित प्रयास को गति दें।
आज का यह व्यवस्थाजनित आक्रोश, यदि सही दिशा में संगठित होकर अपनी मुखर अभिव्यकित को लोकतंत्रात्मक मूल्यों, सिद्धान्तों के परिमार्जक घेरे में रहकर, यथारूप अमली जामा पहनाये तो निशिचत ही तन्त्र परिवर्तन का उददेश्य पूरा होने में देर नहीं लगेगी।क्रांति सब तरफ फैली हुयी है, बदलाव के लिये आक्रोश भी है…लेकिन असंगठित है, अस्थार्इ है और यही कारण है कि गलत करने वालों का हौसला जस का तस है, वे एक के बाद एक क्रमवार गलितयों-गुस्ताखियों को अंजाम देते जाते हैं।
“न गलत करेंगे, न गलत स्वीकार करेंगे” जब तक यह सौगन्ध हर श्वास के साथ नहीं ली जायेगी, तब तक गलती होती रहेगी और गलत स्वीकार करने की आदत मजबूती के साथ चिपकी रहेगी-लिपटी रहेगी और तब तक तन्त्र परिवर्तन-व्यवस्था परिवर्तन की सारी बातें, कवायद, बेमानी के अतिरिक्त कुछ भी नहीं है, इसलिए समय की माँग है कि एक ऐसा आक्रोश जो शान्त न होने पाये एक ऐसी क्रांति जो ठहरने न पाये…।
जिन्दगी जीने के दो ही रास्ते हैं पहला – व्यवस्था जैसी भी है, सड़ी, गली, भ्रष्ट, शिथिल उसी में बने रहिए, संघर्ष करते रहिए, घिसटते रहिए और खत्म हो जाइये।
दूसरा तरीका यह है कि – विद्रोह कीजिए, जिम्मेदारी उठाइये, चीजों को अपने हाथ में लीजिए और बदल डालिए। किसी लाइन को छोट करने के लिए, उसके सामने बड़ी लाइन खींचना ही एक मात्र विकल्प है।
अभी से जुटिये-लगिये, संगठित होइये। विश्वास रखिये ! एक नया सवेरा होकर रहेगा।
हम कार्यशाला खोलेंगे, सांसद और विधायक बनायेंगे। जो आगे चलकर, भ्रष्ट व्यवस्था को बदल देंगे।।
इन्हीं शब्दों के साथ, आपको, आदर्शवादी कांग्रेस पार्टी का सदस्य बनने के लिये, आदरपूर्वक आमनित्रत करता हूँ।
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सदैव आपका
बृजेन्द्र (अध्यक्ष)
आदर्शवादी कांग्रेस पार्टी