क्या आपको अंदाजा है हम पर जो कैशलेस इकनाॅमी थोपी जा रही है उसका फायदा किसको और कितना होने वाला है? नहीं है तो इस पोस्ट को ध्यान से पढ़िए और विचार कीजिये कि कथनी और करनी मे कितना फर्क है।
तथ्य नम्बर-1. जब भी आप डेबिट कार्ड से होने वाले हर आर्थिक व्यवहार करते हैं तो बैंक रिटेलर या जिसको पैसे का भुगतान किया गया है उससे 0.5 से लेकर 1.0 प्रतिशत तक कमीशन लेते हैं।
तथ्य नम्बर-2. क्रेडिट कार्ड कम्पनियां और बैंंक क्रेडिट कार्ड से होने वाले हर आर्थिक व्यवहार (ट्रांजेक्शन) पर 1.5 प्रतिशत से लेकर 2.5 प्रतिशत तक दलाली लेती है। यह दलाली दुकानदार यानी भुगतान लेने वाले से वसूली जाती है।
तथ्य नम्बर -3 . Paytm/Freecharge/ Jio Money और इन जैसी दूसरी E-wallets कम्पनियां 2.5 प्रतिशत से 3.5 प्रतिशत तक दलाली लेती हैं जब हम अपने मेहनत की कमाई अपने बैंंक अकाउंट से E-wallets में ट्रांसफर करते हैं।
तथ्य नम्बर-4. आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक हर महीने 2.25 लाख करोड़ और हर साल करीब 25 से 30 लाख करोड़ रुपये पूरे देश में एटीएम मशीनों से निकाले जाते हैं। अगर बैकों से होने वाले विड्राल को भी इसमें जोड़ दिया जाए तो एटीएम बैंक से निकलने वाली यह राशि होती है करीब 75 लाख करोड़। चूंकि इस राशि का सारा लेनदेन बैंंक से होता है इसलिए यह सारा पैसा 01 नम्बर का सफेद धन होता है।
तथ्य नम्बर-5. वर्तमान में कुल आर्थिक व्यवहार का केवल 3 प्रतिशत आर्थिक व्यवहार इलेक्ट्राॅनिक तरीके से होता है।
तथ्य नम्बर-6. अगर एक नम्बर में हुए 75 लाख करोड़ के आर्थिक व्यवहार का कैश लेस कर देंगे तो क्या होगा?Paytm/Freecharge/Jio Money और इन जैसी दूसरी E-wallets कम्पनियों की चांदी हो जायेगी।
कैसे होगी? तो जानिए ऐसे होगी…
75 लाख करोड़ के कैशलैस आर्थिक व्यवहार पर अगर यह निजी कम्पनियां औसतन 2 प्रतिशत भी कमीशन पाती है तो सीधे-सीधे हर साल डेढ़ लाख करोड़ रुपये इन कम्पनियों को मिलेगा। बिना कुछ किये धरे। पैसा जनता का माल व्यापारी का और ये कम्पनियां मुफ्त में माल उड़ाएंगी।
सरकार ऐसे देगी सफाई
सरकार कहेगी मत यूज करो E-wallets हम आपको फ्री में यूपीआई एप्प उपलब्ध करा रहे हैं। यह सरकारी है। एकदम फ्री है। इसके जरिये भुगतान करो। अच्छी बात है। लेकिन जरा सोचिए पिछले कई सालों से काम कर रहे रेलवे रिजर्वेशन के सरकारी सर्वर की क्या स्पीड है? इसी स्पीड में यूपीआई का सर्वर भी चलेगा या फिर Paytm/Freecharge/ Jio Money और इन जैसी दूसरी E-wallets कंपनियां इसकी स्पीड बढ़ने नहीं देंगी। इतिहास गवाह है सरकारी विमान कम्पनी एयर इंडिया की कमर बीजेपी वाले प्रमोद महाजन की करीबी जेट ने तोड़ी। BSNL और MTNL कौन अपनी मुट्ठी में कर लिया है। इसलिए यह मत कहना की यूपीआई यूज करो । जब यूपीआई से स्पीड में पेमेंट नहीं होगा तो लोग वापस Paytm/Freecharge/ Jio Money और इन जैसी दूसरी E-wallets कंपनियों पर आश्रित हो जाएंगे। डेढ़ लाख करोड़ रुपये सालाना का यह एक खुल्लमखुल्ला घोटाला है। सरकार, Paytm/Freecharge/ Jio Money और इन जैसी दूसरी E-wallets काॅर्पोरेट कंपनियों और बैकों की इसमें मिली भगत है अब समझ में आ रहा है कि काला धन के नाम पर नोट बन्दी का फैसला कालाधन चलाने वाले कार्पोरेट को उपकृत करने के लिए लिया गया है। 2014 के चुनाव में कार्पोरेट ने बीजेपी पर जो निवेश किया था यह उसका रिटर्न है।
सारा गेम प्लान है
जैसे-जैसे नोट बन्दी की परतें उघड़ रहीं हैं कई बातें समझ में आने लगी हैं। मसलन नोट बन्दी, मोदी या जेटली के दिमाग
से निकला फैसला नहीं है, क्योंकि इनके पास इतना गूढ़, डेढ़ लाख करोड़ सालाना कमाने का आइडिया सोचने वाला दिमाग है ही नहीं। अगर होता तो यह लोग राजनीति नहीं बिजनेस कर रहे होते। यह तो सिर्फ चेहरा है। असल गेम प्लान तो किसी और ने करोड़ों रुपये खर्च करके, टाॅप चार्टर अकाउंटेंट, बैंकर और वित्त विशेषज्ञों से तैयार करवाया है। सरकार तो सिर्फ इस रेडीमेड प्लान को ढ़ो रही है।
साभार!
दिनेश सिंह की कलम से