यह भी ध्यान देनें योग्य तथ्य है कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बृजेन्द्र दत्त त्रिपाठी नें उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनावों के निमित्त दिये गये अपनें भाषणों में बार-बार गोरखपुर समेत पूरे पूर्वी उत्तरप्रदेश में फ़ैली इस गंभीर महामारी का मार्मिक वर्णन कर नौकरशाही और राजनीतिज्ञों का ध्यान दिलानें की कोशिश निम्नलिखित शब्दों में की थी -: “पिछले उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनावों में, पूर्वी उत्तर प्रदेश में, महामारी की तरह से पैर पसार चुकी बीमारी, दिमागी बुखार, का मुद्दा जोर शोर से उठाया गया था, सरकार आने के बाद इनका पहला काम उस बीमारी पर काबू पाना था, कितनी माताओं के नौ-निहाल गुजर गये, जो बच जाते हैं वे पागल और अपंग हो जाते हैं। लेकिन सरकार की कोशिशें लखनऊ की चमक-दमक और विकास के लोक लुभावन नारे का तिलिस्सिम निर्मित करने में लगी रहती है न इनकी आंख में आंसू हैं न ही चेहरे पर पछतावा। बेकफन लाशों के अम्बर लगे हैं, ये फक्र से कहते हैं, हम ईमान वाले हैं,” अगर यह सरकार भी पूर्ववर्ती सरकारों की कार्यशैली के अनुकरण पर ही चलना चाहती है तो वाकई यह जनता के साथ गंभीर छलावा जैसा हुआ है आदर्शवादी कांग्रेस पार्टी का मानना है की ऐसी सूरत में जनता को विद्रोह मचाकर इस सरकार और तंत्र को उखाड़कर फेंक देना चाहिये।
ऐसे मुख्यमंत्री जिनका गृह जनपद गोरखपुर है वे अस्पताल प्रशासन की जिम्मेदारी बताकर अपनें गैरजिम्मेदाराना रवैये पर पर्दा नहीं डाल सकते
गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में गन्दगी तथा संक्रमण और आक्सीजन आपूर्ति में कोताही के चलते मासूम बच्चों की मौत पर दुख एवं संवेदना व्यक्त करते हुये सीधे तौर पर मौजूदा सरकार को उत्तरदायी ठहराते हुये पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बृजेन्द्र दत्त त्रिपाठी नें कहा कि सरकार किसी भी तरह से अपनी जिम्मेदारी से मुँह नहीं मोड़ सकती एक ऐसे मुख्यमंत्री जिनका गृह जनपद गोरखपुर है , वो गोरखपुर जहाँ पिछले बारह वर्षों से बच्चों की आसामयिक और दर्दनाक मौत हो रही है वे अस्पताल प्रशासन की जिम्मेदारी बताकर अपनें गैरजिम्मेदाराना रवैये पर पर्दा नहीं डाल सकते । पिछले दो विधानसभा चुनावों में बच्चों की आसामयिक मौत एक गम्भीर और त्रासद मुद्दा रहा है और यदि ये सरकार भी इस अमानवीय समस्या पर काबू नहीं कर पा रही है तो इसे तत्काल बर्खास्त होना चाहिये ।