श्री अरविन्द केजरीवाल की आम आदमी पार्टी में प्रमुख सचिव को पीटे जानें सम्बंधित घटनाक्रम पर टिप्पणी करते हुये आदर्शवादी कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री ब्रजेन्द्र दत्त त्रिपाठी नें कहा कि किसी घटना के पक्ष-विपक्ष में खड़े होनें के पहले यह जानना जरूरी है कि घटना से सम्बंधित पक्षों का घटना के परिप्रेक्ष्य में किया गया व्यवहार समीचीन था या नहीं तो ही न्याय पूर्ण विश्लेषण हो सकता है .
श्री अरविन्द केजरीवाल दिल्ली राज्य के मुख्यमंत्री हैं यदि उनके बुलावे पर कोई बड़ा-से-बड़ा प्रसाशनिक अधिकारी किसी विषय पर बात चीत के लिये उपस्थित हुआ है तो तत्समय परिस्थिति में उसको प्रोटोकॉल का सम्मान करते हुये रटा-रटाया जवाब देना चाहिये था कि – “ठीक है सर, हो जायेगा सर, करता हूँ सर, जैसा आप कहें सर” , फिर उसके बाद वह सभी प्रश्नों पर विधिक और यथोचित उत्तर लिखित रूप से मुख्यमंत्री कार्यालय को भेज देता, परम्परा भी यही रही है .
एक चुने हुये मुख्यमंत्री के सम्मुख उपस्थित होकर किसी प्रसाशनिक अधिकारी द्धारा- ” आदेशों की अवहेलना, प्रतिकार, अथवा तर्क-वितर्क ” निहायत गैर-जिम्मेदाराना है, गैर पारंपरिक है.
अब समूह के अन्य व्यक्तियों द्धारा प्रसाशनिक अधिकारी के प्रति तात्कालिक अभद्रता तो निहायत निंदनीय और कायराना है, यदि वे आहत ही हुये थे तो भी उन्हें तत्समय संयम बरतना था भले ही बाद में ऐसे धृष्ट अफसर को सबक सिखानें के लिये वे एक बड़े समूह के साथ उसी अफसर के कार्यालय परिसर में जाकर उसे सबक सिखाते तब एक नयी क्रान्ति का सूत्रपात होता और वे सभी क्रांतिकारी भी कहलाते ……….. क्रांतिकारी बननें के चक-कर में नपा गये ये लोग खाया पिया कुछ नहीं गिलास तोड़ा बारह आना .